नेकी कर और दरिया में डाल
हर रोज़ की तरह 11 मार्च 2020 की सुबह कुछ अलग थी. शायद कुछ छूट रहा था या किसी के आने की दस्तक थी. अशोक समझ नहीं पा रहा था की जो ह रहा था वो अच्छा है या ग़लत. एक अजीब सी कश्मकश थी. खैर अशोक ने नाश्ता किया और दफ्तर चल पड़ा. आज अशोक का दफ्तर में आखिरी दिन था. वो दफ्तर जिसमे उसने अपने जीवन की 365 कीमती दिन दिए थे. दुःख इस बात का नहीं था की अशोक को आज उस काम को अलविदा कहना था पर दुःख ये था की 365 दिन घिसाने के बाद जब ऊँची कुर्सी पर बैठा बाबू तुमसे ये कहे की तुम 'फुद्दू' हो, 'तुमसे न हो पायेगा', तब दिल चाहता है की जलती अगरबत्ती से उस बाबू को जुगनू डांस करवाऊँ। खैर वो कहते हैं न की 'जिसकी चलती है उसकी गांड पे मोमबत्ती जलती है'. खैर सबको आखिरी सलाम किया और चल पड़े अपनी अगली मंज़िल की तलाश में.देश में इस समय एक खतरनाक चीनी सेनानी दस्तक दे चूका था. इटली, रूस, अमेरिका आदि देशों मैं तहलका मचाने के बाद अब भारत का रुख किया था. कामसूत्र रचने वाले भारत देश में इस अनचाहे मेहमान का टिक पाना मुश्किल लग रहा था. मुंबई मेट्रो की भीड़, बंगलुरु का जाम, दिल्ली का प्रदुषण अगर ये तीन लेवल किसी भी जीव जंतु ने पार कर लिए तो समझो his/her/its balls are made of steel. दिन गुज़रते गए और हमारे २ दिन के मेहमान अपनी जगह पक्की करते चले गए. तीन लेवल तो उन्होंने चुटकी मैं पार कर लिए. वैसे इस मेहमान का टिक पाना मुश्किल था पर हमारे हिंदुस्तान में कनिका कपूर जैसे कई महान चूतिये हैं जो कोरोना जैसे मेहमानों के लिए एक catalyst का काम करते हैं. खैर आज 24 मार्च है और सारा देश lockdown है और देशवासी अपने घरों मैं कैद हैं. मज़े की बात तो ये है की जानवर बेबाक घूम रहे हैं और इंसानो पर तंज कास रहे हैं.
जहाँ एक और सरकार की और से बार बार ये अपील की जा रही है की सब घर पर रहो, घर से काम करो पर कुछ ऐसे चमन हैं जो शायद ऊँचा सुनते हैं. कुछ कहते हैं की हम मुस्लमान हैं तो हमें किसका डर, तो कुछ लोगों को over confidence है की भगवान राम के होते हमारा कोई झांट का बाल नहीं उखाड़ सकता तो कोरोना किस खेत की मूली है. तो बात 23 मार्च की है. हरियाणा मैं एक क़स्बा है, जींद, जहाँ पर ठेठ जाट पाय जाते हैं. कहते हैं उनका दिमाग घुटनों मैं होती है और अगर एक बार उनकी खसक गयी तो वो अपने सग्गे बाप की भी नहीं सुनते. ऐसे ही एक महाशय 7 दिन से अपने घर पर गाये, भैसों के बीच, चारपाई पर बैठे बैठे बवासीर हो गयी थी. उन्होंने अपने कुछ गमछा चाप मित्रों को फ़ोन किया और अपनी fortuner निकाली और चल पड़े कोरोना से टक्कर लेने. किसी दारोगा से कम नहीं समझते थे अपने आप को. एक के मुँह में बीड़ी, दुसरे के हाथ में नेवला और तीसरा एक हाथ से गाडी चलाने का सर्कस कर रहा था और दुसरे हाथ से झुनझुने को खुजा रहा था. अचानक सड़क पर एक कुत्ता सामने से आ गया. Fortuner की डिस्क ब्रेक काफी जबरदस्त होती है. गाडी ब्रेक दबाते ही रुक गयी. एक बार हमारा दिल भी Fortuner पर आया था पर Maruti 800 से संतोष करना पड़ा. तीनो ने एक दुसरे को देखा और एक साथ बोले,"बावड़ी पूँछ साला कुत्ता". अभी वो फिर चलने ही वाले थे की अचानक एक 10 साल का लड़के ने Fortuner की खिड़की पर खटखटाया। लड़के के पास तन ढकने को कपडे नहीं थे, सिर्फ एक निकर पहने हुआ था. मटमैला सा और पैरों मैं कोई चप्पल भी नहीं थी. उससे देखते ही, हरियाणवी ने माँ बहन की गन्दी गालियां देना शुरू कर दिया। उसने एक बार उस लड़के को गाडी से दूर कहा पर वो नहीं माना. खिड़की लगातार खटखटाता रहा. कुछ देर ये तमाशा देखने के बाद, हरियाणवी का दिमाग गरम हो गया. वो गाडी से बाहर निकला और लड़के को गर्दन से पकड़ कर मारने लगा. ना कोई सवाल, न जवाब, बस मार मार के गांड तोड़ दी. शायद १० दिन की frustration थी. वो गरीब लड़का इतना कमज़ोर था की उस 7 फुट के हरियाणवी की मार को झेल नहीं सका और ज़मीन पर धड़ाम से गिर पड़ा. लड़के की मुठी बंद थी और उसने कुछ कपडे जैसा पकड़ा हुआ था. इतने मैं उस हरियाणवी के मित्रों ने उससे गाडी मैं बिठाया और गाडी भगा के वहां से चले गए. शायद उन्हें पुलिस केस का डर था. वो गरीब लड़का वहीँ सड़क पर अधमरा पड़ा रहा. उसके आस 4 कुत्तों के अलावा कोई न था. कहते हैं कुत्तों के पास 6th sense होती है. वो चार कुत्ते उस गरीब लड़के पास आये, सुंघा और आसमान की और देखा और एक साथ रोने लगे. इतने मैं उस लड़के की बंद मुठी खुल गयी और 3 मास्क हवा में उड़ गए.....
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